पूर्व दूरसंचार मंत्री मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द, 3 दिन में करना है सरेंडर

चेन्नई​ : पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की परेशानियां और बढ़ गई है. मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर दी है और उन्हें 3 दिन के अन्दर CBI के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. मारन 2004 से 2007 तक संचार मंत्री थे. जस्टिस एस वैद्यनाथन ने मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए CBI की याचिका और अंतरिम जमानत को स्थाई बनाने की मांग करने वाली मारन की याचिका पर दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया. CBI ने मारन और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की है. इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने 300 से ज्यादा हाई स्पीड टेलीफोन लाइनें उनके आवास से जोड़ी और इसे उनके भाई कलानिधि मारन के सन टीवी चैनल को दिया गया जिससे उसकी अपलिंकिंग को सक्षम बनाया जा सके.

मामले में गिरफ्तारी के डर से मारन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और जस्टिस आर सुब्बैया ने 30 जून को उन्हें इस शर्त पर 6 सप्ताह की अग्रिम जमानत दी थी कि वह एक जुलाई को सीबीआई के सामने उपस्थित हों और जांच में सहयोग करें. इसके बाद CBI ने अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग हाईकोर्ट में की. सीबीआई का कहना था की मारन जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

पिछली सुनवाई में दलीलों के दौरान मारन ने दावा किया था कि सीबीआई उनकी छवि को धूमिल करने के लिए उनकी जमानत रद्द करने की मांग कर रही है. एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल जी राजगोपालन ने कहा कि "मारन से हिरासत में पूछताछ का मकसद धोखाधड़ी के असली लाभार्थी का पता लगाना और इससे हुए सरकारी खजाने को नुकसान का पता लगाना है."

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