मदमस्त करता हवा का झोंका

चाहत है उस शाम की जब हों सिर्फ हम और तुम हाथों में लिए हाथ एक-दूजे में हो जाएँ गुम मदमस्त करता हवा का झोंका और नीली झील का किनारा चंदा संग चाँदनी की किरणें बन जाएँ हम एक-दूजे का सहारा होठों से कुछ न कहकर भी नजरों ही में सबकुछ कहना प्रेम की राह पर चलते हुए मन ही मन मुस्काते रहना सिर्फ कल्पना से ही  धड़कनें हो जाती हैं तेज मुझे है इंतजार उस शाम का "प्राची" जब सजेगी  हमारे अरमानों की सेज..।।

Related News