महाकाल गर्भगृह में नो एंट्री तो फिर वीआईपी प्रवेश क्यों ?

उज्जैन : भगवान के दर्शन के लिए भी आम नागरिक और विशेष नागरिक सुविधाए दी जा रही है। ऐसे ही घटना का शिकार हो रहे है उज्जैन के राजा महाकाल के साथ। महाकाल मंदिर में यही चल रहा है यहाँ पर वीआईपी शर्द्धालु को सुविधाए और आम नागरिक श्रद्धालु को मुसीबत मिल रही है। इसके चलते पुरे शहरभर की संस्थाओ ने कड़ी नाराजगी जताई है।

लोगों का कहना है कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की गड़बड़ व्यवस्थाओं के कारण ही ऐसी स्थिति बनती है। अगर भीड़ के कारण गर्भगृह में प्रवेश बंद किया जाता है तो फिर सशुल्क अनुमति भी बंद की जाए। रुपए लेकर प्रवेश देने के कारण अव्यवस्था फैलती है। वहीं भस्मारती परमिशन को पूरी तरह ऑनलाइन होना चाहिए, इसे मनमर्जी से ऑफलाइन क्यों कर दिया जाता है। महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन व्यवस्था से आम और खास के बीच बढ़ती खाई का लोग अब मुखरता से विरोध करने लगे हैं।

उनका कहना है कि मंदिर में दर्शन व्यवस्था आम भक्तों के लिए नहीं, बल्कि वीआईपी को केंद्र में रख कर बनाई जाती है। आम श्रद्धालु कई घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद भी 50 फीट दूर से राजाधिराज के दर्शन करते हैं। वहीं वीआईपी गर्भगृह में जमे रहते हैं। इस कारण परंपरा का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। फ़िलहाल कई कावड़ यात्री प्रवेश बंद का उल्लंघन कर गर्भगृह में घुसे तो एक बीजेपी विधायक भस्मारती के समय परंपरा तोड़ भीतर घुस गए।

इस सब के कारण मंदिर प्रशासन की भेद भाव वाली व्यवस्था को जिम्मेदार माना जा रहा है। सूत्रों से जानकारी मिली की महाकाल मंदिर में नियमो के उलंघन की खबर मुख्यमंत्री चौहान तक पहुंच गई। जिस प्रकार महाकाल मंदिर में भक्तो की आस्था का व्यवसायीकरण किया जाने लगा है उससे आम नागरिको की फजीहत होती है।

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