मदहोश रातें

न दिन को चेन न रातो को सुकून।

दिन गुमसुम है रात खामोश ।

किस मुह से बोलू की आज भी होश नहीं ।

इस कदर डूबा में मदहोश आखो में की ,

हाथो में जाम था पर पिने का होश नहीं।

तोड़ देता में अगर तू फूल होती

देता जवाब अगर तू सवाल होती

जानते है लोग की में शराब नहीं पिता

मगर में पिता अगर तू शराब होती!

Related News