उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय, इबादतगाह नहीं हैं मदरसे

कोच्चि : एक बार फिर मदरसों को लेकर कुछ बातें सामने आई हैं। दरअसल इस बार मदरसों को लेकर न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है। जिसमें केरल उच्च न्यायालय द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। जिसमें कहा गया कि मदरसे पूजन का स्थल नहीं हैं। वहां तो शिक्षा दी जाना चाहिए। इबादत के लिए मदरसों को बना हुआ नहीं बताया गया है। इस मामले में न्यायालय ने यह उल्लेख किया है कि याचिका पर सुनवाई की गई है। जिसमें राज्य के कसारगोड जिले में अलगे माह आयोजित होने वाले निकाय चुनाव के अंतर्गत 2 मदरसों में पोलिंग बूथ तैयार किए जाने को लेकर चुनौति दी गई।

इस मामले में न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि मदरसे में खुदा की इबादत नहीं की जाती। इबादत में सिर झुकाया जाता है। इबादत का यही महत्व है उल्लेखनीय है कि मदरसों को लेकर एक बार फिर टिप्पणियां सामने आई हैं। महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों को प्राथमिक शिक्षा के लिए मान्य नहीं बताया है। इस मामले में कहा गया है  कि मदरसों को शिक्षा के लिए ही बताया गया है।

कहा गया है कि यहां धार्मिक शिक्षा देने के साथ ही यहां अध्ययन करने वाले बच्चों का तकनीकी उन्नयन किया जाए। यहां पढ़ने वाले भी वह सारी शिक्षा ले सकें जो उन्हें आज के दौर के अनुसार बनाए। हालांकि उच्च न्यायालय का निर्णय इन बातों से इतर है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में यह सुनवाई की है जिसमें कहा गया है कि राज्य के कसारगोड जिले में आगामी माह होने वाले चुनाव में 2 मदरसों में पोलिंग बूथ तैयार किए जाने को चुनौती दी गई। 

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