मार डालेगी मुझे ये बेजुबानी

मार डालेगी मुझे ये बेजुबानी आपकी ! चाक दिल कैसे दिखाऊँ ये निशानी आपकी ! मैं अकेला ही नहीं था आपके अफ़साने* में, बज़्म में थी हर नज़र अब तो दिवानी आपकी! इश्क को हासिल हुआ है हौसला तकलीफ़ से, बात जो मैंने कही, वो थी ज़ुबानी आपकी! याद रहता है कहाँ वादा-वफ़ा का आपको, भूल जाने की ये* आदत है पुरानी आपकी! हारती ना जो मुहब्बत इस ज़माने से "अदब", दासतां मेरी भी* होती ये कहानी आपकी !

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