चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है और नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. आप सभी को बता दें कि आज नवरात्रि का सांतवा दिन है और आज के दिन माँ कालरात्रि का पूजन किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ कालरात्रि के मंत्र, ध्यान मंत्र, स्त्रोत और भोग. माँ कालरात्रि बीज मंत्र - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: माँ कालरात्रि के मंत्र- * य त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि। जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥ * ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि। संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।। * ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी। एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।। * ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा * ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने तस्य वि‍त्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ। माँ कालरात्रि का ध्यान मंत्र- करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥ दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्। अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥ महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा। घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥ सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्। एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥ माँ कालरात्रि का स्त्रोत- हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती। कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥ कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी। कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥ क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी। कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥ माँ कालरात्रि का भोग- सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगाने से लाभ होता है। नवरात्रि की अष्टमी-नवमी के दिन जरूर पढ़े दुर्गा चालीसा, होगा महालाभ आज इस आरती से करने मां कात्यायनी को खुश, पढ़े यह स्त्रोत और ध्यान मंत्र नवरात्री व्रत के दौरान खाया कुट्टू का आटा, एक ही परिवार के 7 लोग बीमार