एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

शिव पुराण में भगवान विष्णु के विषय में सर्वविदित तथ्य दिए गए हैं। रुद्रसंहिता के अनुसार जब जगत में कोई नहीं था तब शिवा और शिव ने सृष्टि-संचालन की इच्छा जाहिर की। वह एक ऐसी शक्ति चाहते थे जो उनकी शक्तियों के साथ संसार को चलाए। ऐसी मनोकामना के साथ शिवा यानि पार्वती जी ने शिवजी के एक अंग पर अमृत मल दिया और वहां से एक पुरुष प्रकट हुए। यही पुरुष भगवान विष्णु थे। भगवान विष्णु जी त्रिदेवों में एक है और वहीं जगत के पालक हैं। 

विष्णु जी का रूप विष्णु जी की कांति इन्द्रनील मणि के समान श्याम है। अपने व्यापक स्वरूप के कारण ही उन्हें शिवजी से विष्णु नाम मिला। विष्णु जी का अस्त्र सुदर्शन चक्र है। पीले वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें पीतांबर भी कहा जाता है। 

विष्णु जी की पत्नी देवी लक्ष्मी  पुराणों में बताया गया है कि श्री हरि माता लक्ष्मी के साथ क्षीरसागर में विराजमान हैं। इनकी शैय्या शेषनाग है जिसके फन पर यह संसार टिका है। लक्ष्मी जी और विष्णु जी को हिन्दू पुराणों  में विशेष महत्व दिया गया है। हर अवतार में लक्ष्मी जी विष्णु जी के साथ अवश्य धरतीलोक पर आती हैं। 

भगवान विष्णु का मंत्र  विष्णु भक्तों के लिए अष्टाक्षर "ऊँ नमो नारायणाय" मंत्र को श्रेष्ठ माना गया है।

भगवान विष्णु के अवतार  भगवान विष्णु के दस अहम अवतार बताए गए हैं जिनमें से प्रमुख हैं परशुराम, राम और श्री कृष्ण।

भगवान विष्णु से जुड़ी अहम बातें  भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ देव को माना जाता है।  विष्णु जी का अस्त्र सुदर्शन चक्र है।  श्री राम भगवान विष्णु के मर्यादापुरुषोत्तम अवतार थे।  श्री कृष्ण को विष्णु जी का पूर्णावतार माना जाता है।  गणेश जी भगवान हरि के प्रिय हैं। भगवान विष्णु के पर्व

हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक महीने की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसके अलावा अन्नतं चतुर्दशी को भी विष्णु भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। 

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