लोकपाल के पास नहीं अपना कार्यालय, हर महीने चुकाता है किराए के 50 लाख रुपए

नई दिल्ली: देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए सर्वोच्च संस्था द्वारा अपने 'होटल कार्यालय' के लिए प्रत्येक महीने 50 लाख रुपये किराये के रूप में दिए जाने की खबर का संज्ञान लेते हुए कांग्रेस ने रविवार को हैरानी जाहिर की है कि यह 'लोकपाल है या जोकपाल' है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि, 'लोकपाल या जोकपाल? होटल कार्यालय की लागत 50 लाख रुपये महीना! यह होटल सात महीनों से संस्था का कार्यालय है.' 

विपक्षी दल ने इल्जाम लगाया कि 31 अक्टूबर 2019 तक भ्रष्टाचार विरोधी निगरानीकर्ता को 1,116 शिकायतें प्राप्त हुई थी, किन्तु किसी में भी प्रारंभिक जांच तक शुरू नहीं हुई. सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या भाजपा समर्थित लोकपाल आंदोलन यह सब देखने के लिए हुआ था. सुरजेवाला ने एक मीडिया रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में एक स्थायी कार्यालय के अभाव में लोकपाल सरकारी स्वामित्व वाले होटल अशोका में अपने दफ्तर के लिए 50 लाख रुपये का मासिक किराया चुकाता है.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट में नई दिल्ली में एक स्थायी कार्यालय ना होने के चलते देश का सर्वोच्च भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकपाल का कार्यालय सरकार के स्वामित्व वाले होटल अशोका को कार्यालय स्थान के लिए 50 लाख रुपये का मासिक किराया देता है. 

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