लोग परंपरा को छोड़ नही पाते

सौंदर्य में नहाया चाँद का गोरा बदन दिखा हंगामा करते सांसदों से भरा सदन दिखा . अशिक्षा व अजागरुकता से पिछड़ा समाज अकर्मण्यता से बदहाल अपना वतन दिखा . बहुत से रोते बिलखते लोग दिखते है यहाँ विकास से दूर झोपड़ियों में क्रंदन दिखा . लोग परंपरा को छोड़ नही पाते आसानी से विकासपथ राह में परम्परा का बंधन दिखा . लोग महापुरुषों के सद्गुणों को अपनाते नही पत्थर की मूर्ति में भी यशोदानन्दन दिखा . अपने मस्तिष्क से नव विचार खोजते नही विवेक से जागरुकता का नही मंथन दिखा . पूरा जीवन बीतता एक-एक पैसे बटोरने में मरने के बाद ही उनका कमाया धन दिखा . दौलत के पीछे अपना भी हो जाता है पराया संपन्न जीवन में कभी नही अपनापन दिखा . जीवनभर का एकत्रित किया छूट जाता यही  पखेरु उड़ गया बचा हुआ खाली बर्तन दिखा . मानवता के उत्थान के लिए प्रयास होता रहा इंसानों के द्वारा ही इंसानियत का पतन दिखा . जिंदगी में प्रेम भी संगीतमय हो जाये 'प्रकाश' अपनी जिंदगी में वीणा संग प्रेम कीर्तन दिखा

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