अलसी देती है रोगों से लड़ने में शक्ति

अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है. अलसी में फाइबर, विटामिन बी, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं. प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी, और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था. आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है.

अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है. रक्त को पतला बनाये रखती है. अलसी रक्तवाहिकाओं को साफ करती रहती है. चश्में से भी मुक्ति दिला देती है.

अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये. डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें. उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं. कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा.

अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें. तीन घंटे बाद छानकर पीएं. इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा.

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