क्यों फोड़ दिया तुमने

क्यों फोड़ दिया तुमने , बरगद की बूढ़ी-सी आँखों को,, क्यों तोड़ दिया तुमने , पीपल की हाथों-सी शाख़ो को,, नित उजाड़ते जा रहे हो तुम, वृक्षों के वनों से परिवार,,,,,,,,, जबकि हर पौधा ,हर वृक्ष  पुकारता है यही बार-बार,,,,,,,,, कि 'मै जीना चाहता हूँ' "मै जीना चाहता हूँ"

Related News