थोड़ी कमसिन मगर सयानी भी हाय क्या चीज़ है जवानी भी तुम इबादत के रास्ते चलना रहमतें होंगी आस्मानी भी उसने सबकुछ कलम से लिख डाला इक ग़ज़ल और इक कहानी भी सच बता दो कि प्यार है या नहीं कर रहे हो जो बदगुमानी भी इश्क हो जायेगा तुम्हे दिलबर हो अगर रब की मेहरबानी भी दर्द बिंदास जी रहा हूँ मैं जिंदगी भी ये जिंदगानी भी