कुछ यूँ हल हो जाएँ

जद्दोजहद मेरे दिल की, कुछ यूँ हल हो जाएँ जो बसा हैं इस दिल मे उसी से पहल हो जाएँ। जो दे अगर दस्तक मेरे दिल की दहलीज पे वो इस फकीर की ये कुटीया भी, महल हो जाएँ।

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