हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन धन्वंतरि का जन्म हुआ था, और इसी के चलते इस तिथि को धनतेरस कहा जाता है। कहा जाता है धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था और भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। आज के दिन कोई भी नया बर्तन अवश्य खरीदें, क्योंकि ऐसा करने से शुभ फल मिलता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुबरे महाराज के मन्त्रों के बारे में जिसका आप धनतेरस की पूजा में जाप करेंगे तो आप पर धन की बरसात होगी. कहा जाता है धनतेरस के दिन कुबेर महाराज का पूजन, मंत्र जाप और आरती करने से व्यक्ति जल्द धनवान बनता है. तो आइए जानते हैं मन्त्र और आरती. कुबेर के मंत्र – 1-ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥ 2- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥ 3- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥ कुबेर जी की आरती- ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े। दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे। योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे। दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने। मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले। अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे। कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥ धनतेरस पर राशि के अनुसार खरीदें यह चीजें, सालभर रहेगी शुभता और मांगल्य धनतेरस से पहले सस्ता हुआ सोना-चांदी, यहाँ देखें ताजा कीमतें धनतेरस के दिन किया यह एक उपाय रातों-रात बना देगा मालामाल