कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना

कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना,  यूँ बात बढ़ा कर क्या करना,  तुम मेरे थे, तुम मेरे हो,  दुनिया को बता कर क्या करना,  तुम साथ निभाओ चाहत से,  कोई रस्म निभा कर क्या करना,  तुम खफ़ा भी अच्छे लगते हो,  फिर तुमको मना कर क्या करना।

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