जानिये कुरुक्षेत्र में ही महाभारत युद्ध लड़ने का कारण क्या था?

महाभारत का युद्ध एक ऐतिहासिक युद्ध माना जाता है जो कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था इस युद्ध के विषय में कई रहस्य है जो आज भी कई व्यक्ति नहीं जानते है एक ऐसा ही रहस्य यह है की इस युद्ध को कुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया अन्य किसी स्थान पर क्यों नहीं लड़ा गया. आज हम इसी रहस्य पर से पर्दा उठाने वाले है आइये जानते है.

कुरु वंश की उत्पति यहां के राजा कुरु के नाम से हुई जो बहुत ही प्रतापी राजा थे और इन्ही के कुल में कौरवों और पांडवो का जन्म हुआ जिन्हें कौरव वंश के नाम से जाना जाता है महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ने का मुख्य कारण यहाँ की पवित्र भूमि है जिसके विषय में कहा जाता है की जिस भी व्यक्ति कि मृत्यु इस स्थान पर होगी उसे स्वर्गलोक प्राप्त होगा. तथा वह मोक्ष की प्राप्ति कर पुनः इस मृत्युलोक में जन्म नहीं लेगा इस बात को भगवान् श्री कृष्ण व भीष्मपितामह व द्रोणाचार्य जानते थे. इसी वजह से महाभारत का युद्ध इस स्थान पर लड़ा गया था.

ऐसा माना जाता है की एक बार राजा कुरु के मन में यह विचार आया की वह एक ऐसे स्थान का निर्माण करें जहां मृत्यु प्राप्त करने के बाद कोई भी जीव को स्वर्गलोक की प्राप्ति हो इसी वजह से उन्होंने बहुत बड़े भू-भाग को चुना और प्रतिदिन उसकी जुताई प्रारंभ कर दी जिसे देखकर इन्द्रदेव ने उनसे पूंछा की वह ऐसा क्यों कर रहे है तब राजा ने अपने भोवों को इंद्र के समक्ष प्रकट किया जिसे जानकर इन्द्रदेव हंसपड़े. किन्तु राजा कुरु अपने कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करते रहे. 

इसी तरह बहुत दिन गुजर गए तब एक दिन इंद्र ने राजा को दर्शन दिए और कहा की कोई भीव्यक्ति पशु पक्षी आदि इस स्थान पर किसी भी कारण से अपने प्राण त्यागता है तो उसे मृत्यु के पश्चात स्वर्गलोक की प्राप्ति होगी. इतना कहकर वह अंतर्ध्यान हो गए तभी से इस क्षेत्र को कुरुक्षेत्र के नाम से जाना जाता है. श्रीमद्भागवत गीता में भी इस स्थान को बहुत पवित्र माना गया है.

 

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