जानिए परिवार के किस व्यक्ति को करना चाहिए पितरों का श्राद्ध

गणेश विसर्जन के पश्चात् पितृ पक्ष का दिन आता है जब हम अपने पितरों को श्रद्धा पूर्वक पूजते है या उन्हें तिलांजलि देते है उसे हम श्राध्द कहते है. तो आइये आज हम आपको इसी विषय पर कुछ बाते बताते है जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध होंगी. मनुस्मृति और ब्रम्हावैव्र्त पुराण के अनुसार अपने पितरो को परिवार के सबसे बड़े या सबसे छोटे पुत्र के हाथो द्वारा ही तिलांजलि या पिंडदान करना उचित होता है

किन्तु यदि दिवंगत पितरों का कोई भी पुत्र न हो तो उनके परिवार के भाई,चाचा,नाती,भतीजा या उनके शिष्य को श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर ब्राम्हण के माध्यम से उनको तिलांजलि या पिंडदान करना चाहिए. उसके पश्चात् ब्राम्हण को अन्न और वस्त्र का दान करके बिदा करना चाहिए ऐसा करने से पितृ आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह तृप्त होकर सारी गलतियो को क्षमा करते है. वेसे तो आमतोर पर पितृ पक्ष 15 दिन के होते है किन्तु इस वर्ष ये केवल 14 दिनों के है जो की 7 सितम्बर से प्रारंभ होकर 20 सितम्बर को समाप्त होंगे.

इस वर्ष पितृ पक्ष का 14 दिनों का होने के पीछे कारण यह है की 10 सितम्बर दिन रविवार को चतुर्थी एवं पंचमी दोनों श्राध्द एक ही दिन रहेंगे.इसीलिए इस बार श्राध्द 15 की जगह 14 दिनों के होंगे. 14 सितम्बर के दिन मात्र नवमी श्राध्द एवं नवमी श्राध्द दोनों होगा इस दिन उन स्त्रियों का श्राध्द किया जाता है जो सुहागन ही मृत्यु को प्राप्त होती है. 20 सितम्बर को अमावश्या को श्राध्द का अंतिम दिन होगा इस दिनपितृ विसर्जन एवं उन व्यक्तियों का श्राध्द किया जाता है जिन लोगो की मृत्यु की तिथि की जानकारी हमें नहीं होती.

 

 

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