कहते हैं हिंदू धर्म में दाह संस्कार की परंपरा वर्षों से चली आ रही है और शास्त्रों और पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है. ऐसे मे हिंदू धर्म में सोलह संस्कार बताए गए हैं और इन सभी में आ‌ख‌िरी यानी सोलहवां संस्कार है मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार. जी हाँ, कहा जाता है इनमें व्यक्त‌ि की अंतिम व‌िदाई, दाह संस्कार के रीत‌ि-र‌िवाज शाम‌िल हुए है. आज हम आपको इन्ही से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं जो आपको जननी चाहिए. - कहत हैं दाह संस्कार से जुड़ा एक और बड़ा न‌ियम है क‌ि व्यक्ति की मृत्यु अगर रात में या शाम ढलने के बाद होती है तो उनका अंतिम संस्कार सुबह सूर्योदय से लेकर शाम सूर्यास्त होने से पहले करना चाहिए. - आप सभी को बता दें कि सूर्यास्त होने के बाद शव का दाह संस्कार करना शास्त्र विरुद्ध माना गया है और इसके पीछे कई कारण हैं. - कहा जाता है अंत‌िम संस्कार के समय एक छेद वाले घड़े में जल लेकर चिता पर रखे शव की पर‌िक्रमा की जाती है और इसे पीछे की ओर पटककर फोड़ द‌िया जाता है. - आप सभी को बता दें कि हिंदू परंपरा में मृतक का दाह संस्कार करते समय उसके मुख पर चंदन रख कर जलाने की परंपरा है. - कहा जाता है हिंदू परंपरा में मृतक का दाह संस्कार करते समय उसकी छाती और ललाट पे घी रखा जाता है. - कहते हैं अंत‌िम संस्कार में दाह संस्‍कार के बाद स‌िर मुंडाने का न‌ियम है. - कहा जाता है अंतिम संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की अस्थियों का संचय किया जाता है और अस्थियों को श्राद्ध कर्म आदि क्रियाओं बाद किसी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. - कहते हैं गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु से तेरह द‌िन पिंडदान कर सकते हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार भूलकर भी ना करें इनके यहाँ भोजन इस वजह से अच्छे लोगों के साथ होता है बुरा जहन्नुम से निजात दिलाता रमज़ान का तीसरा अशरा हुआ शुरू