कितनी बेवफ़ा है ए जिंदगी

कभी बन जाती है हर पल तबाही का मंजर, कितनी बेवफ़ा है ए जिंदगी,, सींचा तुझे अरमानों से लहू अपना दे कर, आसान मौत पे मुड़ गई जिंदगी,, सोचे कितने काम बाक़ी है एहसान बाकी, मोहलत-ए-खास दे जिंदगी,, जूझने का हौसला भी टूट रहा साँसो का, एक बार एहतराम तो दे जिंदगी,,

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