कितने ही दाग उठाए तूने

हुस्न-ए-जाना इधर आ,आईना हूँ मैं तेरा। मैं सवारूँगा तुझे,सारे ग़म दे दे मुझे। भीगी पलकें ना झूका,आईना हूँ मैं तेरा। कितने ही दाग उठाए तूने,मेरे दिनरात सजाए तूने, चूम लूँ आ मैं तेरी पलकों को,दे दूँ ये उम्र तेरी ज़ुल्फों को, ले के आँखों के दिए मुस्कुरा मेरे लिए, मेरी तस्वीर-ए-वफ़ा,आईना हूँ मैं तेरा। तेरी चाहत है इबादत मेरी,देखता रहता हूँ सूरत तेरी, घर तेरे दम से है मंदिर मेरा,तू है देवी मैं पूजारी तेरा, सजदे सौ बार करूँ, आ तुझे प्यार करूँ, मेरी आगोश में आ,आईना हूँ मैं तेरा ,,,,,

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