किसी को आज़माना नहीं जाना...

मोहब्बत नहीं जानी, कोई फ़साना नहीं जाना, क्या जाना है तूने, गर जमाना नहीं जाना,

जहान तुझे ज़िंदा दिल लगता है, गलत है तू, तूने मर - मर के जीने का बहाना नहीं जाना,

सब इस दौर से गुज़रते हैं एक दिन ए बे-खबर, तेरे दिल ने अब तक किसी पे आना नहीं जाना,

क्या कहते हो तुम ये, बेतुकी बातें ना करो, तुमने दिल के जज़्बातों का खज़ाना नहीं जाना,

भले ही तुमने जाना तो बहुत कुछ होगा पर, कभी दर्द-ए-उल्फत का अफसाना नहीं जाना,

तुमने बे-खबरी से किसी को रुला तो दिया होगा मगर, दर्द-ए-दिल से किसी को हँसाना नहीं जाना,

हम ने भी जान लिया है अब तक बहुत कुछ यहाँ लेकिन, बस हमने किसी को आज़माना नहीं जाना...

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