किस दिन वो रिश्ता हर बहनों को मिलेगा

किस दिन वो रिश्ता हर बहनों को मिलेगा कब नींद का मौसम सबकी आँखों को मिलेगा बड़ी होने लगी है मूरतें आंगन में मिट्टी की बहुत से काम बाकी है संभाला ले लिया जाए ऐसा लगता है कि जैसे खत्म मेला हो गया उड़ गई आंगन से चिड़ियां घर अकेला हो गया। तो फिर जाकर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है। जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है

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