निकल जाये यूँ ही ख्वाब में उनको तो ख्वाब में क्या दम न होगा आपका मुझ पर करम क्या हँसे भी रोये भी लेकिन न समझे ख़ुशी क्या चीज है दुनियां में क्या गम है मुबारक जालिमों के जुल्म हम पर जो अपना ही किया उस पर गम क्या भुला देगी हमें दो दिन में दुनियां हमारी शायरी क्या और हम क्या मेरी तकदीर में लिखा है तूने बता ए मालिक तेरी कलम ने क्या