खून पसीना एक करती

एक रोटी  यह गोल गोल रोटी यह अनमोल रोटी खून पसीना एक करती रोटी,  भूखे- नंगे की सांस है रोटी।  सबलों के जीवन में  एक विश्वास जगाती रोटी।  निर्बलों के शरीर का  खून चूसती रोटी।  रोटी की मोहताज आँखें  कुछ ढूंढती हैं ।  कूड़े कचरे के ढेर से  कुछ बीनती हैं।  रोटी चोरी डकैती,  हिंसा कराती है  रोटी खून खराबा,  हत्या कराती है ।  अपनो के बीच में,  टकराव कराती रोटी।  प्रेम अपनत्व को,  दूर करती रोटी।  स्वदेश को दुश्मनों के,  हाथों बेचती रोटी।  इंसान को गद्दार,  बनाती रोटी।  यह गोल- गोल रोटी, यह अनमोल रोटी  यह रोटी न होती,  तो गुनाह न होता  अगर गुनाह न होता,  तो रामराज्य होता ।

Related News