खूब बरस अब के बरस

शायद आ जायेगा साकी को तरस अबके बरस मिल न पाया है उन आँखों का रस अबके बरस ऐसी छाईं थीं कहाँ गम की घटा पहले हाँ मेरे दीदार ऐ तर खूब बरस अब के बरस उफ़ वो उन मद भरी आँखों के बरस बढ़ गयी है और पीने की अबके बरस पहले ये कब था कि वो मेरे हैं मैं उनका हूँ उनकी यादों ने सताया है तो बस अबके बरस

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