ख़ाक बन कर बिखर गया

ख़ाक बन कर बिखर गया कोई जीते ज़िंदा ही मर गया कोई हसरतें मन की रह गई मन में अपनी जाँ से बिछड़ गया कोई वक़्त को पर लगे वो उड़ता रहा आशियाँ देखो उड़ गया कोई तूने अच्छा है घर बसा तो लिया मेरी जाना उजड़ गया कोई चलो अच्छा कभी तो सोचोगे तेरी चाहत पे मर गया कोई हम तो दीवाने मिट चुके तो कहा हद से ज्यादा गुज़र गया कोई

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