'केजरीवाल ने दिल्ली को बर्बाद करने की कसम खा रखी है..', इस साल भी छठ व्रतियों ने झाग में किया स्नान, निशाने पर आई AAP सरकार

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की हालत लगातार खराब होती जा रही है। किनारों पर पानी से अधिक जहरीले झाग नज़र आते हैं। छठ पूजा पर भी जब व्रती यहाँ सूर्य को अर्घ्य देने पहुँचे, तो आलम यही था। यहीं व्रतियों ने 19 नवंबर को पश्चिमगामी सूर्य और 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। पूजा के बाद यमुना घाट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।

 

इन तस्वीरों को देखने के बाद भाजपा ने इसे शेयर करते हुए दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) को घेरा और कहा कि आज प्रदूषित यमुना में पूजा करने के लिए लोग विवश हैं। मगर, AAP सरकार कुछ नहीं कर रही। दरअसल, दिल्ली के कालिंदी कुंज में भक्तों द्वारा उगते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देते वक्त प्रदूषित यमुना नदी की सतह पर घना सफेद जहरीला झाग तैरता हुआ नज़र आया। ये जहरीला झाग यमुना नदी में उच्च फॉस्फेट सामग्री के कारण होता है। इस रासायनिक झाग से त्वचा और साँस से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका रहती है।

केजरीवाल सरकार ने इन समस्या से निपटने के लिए यमुना में रसायन का छिड़काव करवाया था, लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखा। शनिवार को भी यमुना की सतह पर सफेद जहरीला झाग तैरता रहा और छठ पूजन के दौरान तो इसी झाग में व्रतियों को डुबकी लगानी पड़ी। इस रासायनिक झाग से आँखों में चुभन और साँस लेने में समस्या होने लगती है। तो ये समझा जा सकता है कि, उस झाग में डुबकी लगाने वाले  छठ व्रतियों की हालत क्या हुई होगी। केजरीवाल सरकार दावा कर रही है कि 1000 स्थानों पर छठ पूजा के लिए व्यवस्था की गई है। लेकिन, सवाल अब भी जस का तस है कि प्रदूषण को रोकने और यमुना को स्वच्छ करने के लिए दिल्ली सरकार क्या कर रही है ?

 

यमुना की इस हालत पर भाजपा पार्टी ने केजरीवला सरकार को घेरा है। भाजपा ने सोशल मीडिया से पोस्ट किया है कि, 'अरविंद केजरीवाल के राज में ‘अर्घ्य देने आओ और झाग में नहाओ।’ लाखों लोगों की आस्था के पर्व की अनदेखी हर साल इस तरह होती रही है। लोग मजबूर हैं प्रदूषित यमुना में पूजा करने के लिए। आप ने सिर्फ़ झूठे वादों के अलावा कुछ नहीं किया! कुछ तो शर्म करो केजरीवाल!' इसके साथ ही दिल्ली भाजपा ने एक अन्य ट्वीट में तंज कसा है कि, 'दिल्ली को बर्बाद करने की अरविंद केजरीवाल ने कसम खा रखी है!'

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की एक रिपोर्ट में उल्लेख है कि यमुना नदी की लंबाई 1300 किमी से ज्यादा है। इसमें दिल्ली के हिस्से में आने वाली यमुना का वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक का हिस्सा केवल 22 किमी ही है। मगर, हैरानी की बात है कि यमुना का 76 फीसदी प्रदूषण इसी इलाके में होता है। यदि, मानसून को छोड़ दिया जाए, तो यमुना नदी में लगभग-लगभग पूरे साल ताजा पानी नहीं रहता। पर्यावरणविदों का कहना है कि, जलस्रोतों में अक्सर झाग बनने के कारण वसा के अणु वाले पौधों के गलने से होता है। मगर यमुना नदी में इस समय बन रहे झाग के कारण अलग हैं। इस समय ये झाग यहाँ फॉस्फेट और नाइट्रेट के कारण है। कई रिसर्च में पता चला है कि सर्दी बढ़ने के चलते ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसके साथ ही छठ व्रतियों के लिए यमुना नदी में ज्यादा पानी छोड़ा जाता है। इसके तेजी से ओखला बैराज में गिरने से फॉस्फेट और नाइट्रेट के चलते घना झाग बनता है और व्रतियों को उसी में डुबकी लगाकर पूजन करना पड़ता है।

 

2013 में पहली बार दिल्ली के सीएम बने अरविंद केजरीवाल उसी समय से वादा कर रहे हैं कि, यमुना साफ करवा दूंगा और तुम्हारे साथ मैं भी डुबकी लगाऊंगा, लेकिन 10 साल बीत चुके हैं और 6856 करोड़ खर्च करने के बावजूद, दिल्ली सरकार यमुना को निर्मल नहीं कर पाई है।  न तो यमुना साफ हुई है और न ही सीएम केजरीवाल ने डुबकी लगाई है। 

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