ग़र रखना ही है...! तो सीने में रखने से ज़्यादा... हमें अपनें ज़हन में रखें ॥ के हम कितने ज़ुरूरी हैं...! ज़िंदगी में आख़िरकर... ये आप किसी को बता पायेंगे ॥ ज़िंदगी के साथ...! ये सांस भी निकल जायेंगे ॥ पर रूहों के रिश्ते...! क़यामत तक काम आयेंगे ॥ हम कितने ज़ुरूरी हैं...! ये आप किसी को जता पायेंगे ॥