यहाँ जानिए, करवाचौथ की व्रत विधि और चाँद के निकलने का समय

आप सभी को बता दें कि करवा चौथ जिसे संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है. कहते हैं 'करवा चौथ' जिसका सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं. ऐसे में करवाचौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है और यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात रहती है उसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता है और अब इस साल की बात करें तो इस साल यह व्रत 27 अक्टूबर को है यानी कल. आइए जानते हैं पूजा मुहूर्त. 

पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:35- रात 8:00 तक पूजन करे परंतु अर्घ्य 8 बजे के बाद चंद्रोदय- सायंकाल 7:38 बजे के बाद चतुर्थी तिथि आरंभ- 27 अक्टूबर को रात में 07:38 बजे

आइए जानते हैं करवाचौथ कैसे मनाया जाता है - इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं आप सभी को बता दें कि यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं और इसे खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. उसके बाद इस दिन शिव,पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है वह भी दिन में और शाम को देवी की पूजा होती है और उनसे पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. इसी के साथ चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देख लेती हैं और पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वा देता है.

आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत विधान - कहा जाता है व्रत रखने वाली स्त्री सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान और संध्या की आरती करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहें कि मैं अपने सौभाग्य एंव पुत्र-पौत्रादि तथा अखंड सौभाग्य की ,अक्षय संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी और यह व्रत निराहार ही नहीं अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है. इसी के साथ इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान बताया गया है.

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