सात फेरों के प्रेम का प्रतीक- मेहँदी

हिन्दू महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार करवा चौथ होता है. इसमें हर विवाहित हिन्दू महिला अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है. आपको बता दे जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया. यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग दिया. वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं. पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए, उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त कोई और वर मांग लो. सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें, जिसे यमराज ने हां कह दिया. पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था. अंत में अपने वचन में बंधने के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया. कहा जाता है कि तब से स्त्रियां अन्न-जल का त्यागकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखती हैं. 

करवा चौथ आते ही महिलाएं उसकी तैयारी में जुट जाती है. आम तौर पर करवा चौथ में महिलाएं नए परिधान खरीदती है ब्यूटी पार्लर जाती है. और एक बहुत खास चीज़ अपने हाथो में नयी दुल्हन की तरह मेहँदी लगवाती है. मेहंदी सिर्फ रंग ही नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा भी है. यह एक परम्परा है और खासकर सुहागिन महिलाओं के जीवन में इसका विशेष महत्व है. शादी-ब्याह और त्योहार पर अक्सर महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं. लेकिन यह सिर्फ श्रृंगार का साधन नहीं बल्कि खुशियों का प्रतीक भी है. मेहंदी विवाह के बंधन का प्रतीक है. इसलिए, इसे एक 'शगुन' माना जाता है. मेहंदी दंपती और उनके परिवारों के बीच प्यार और स्नेह का प्रतीक है. आपको बता दे कि मेहंदी में कई औषधीय गुण भी शामिल हैं. मेहंदी की शीतलता तनाव, सिर दर्द और बुखार से राहत दिलाती है. मेंहदी लगाने से त्वचा संबंधी कई रोग दूर होते हैं. साथ ही त्वचा की खुश्की भी दूर होती है. नाखूनों को बढ़ाने में भी मेहंदी बहुत लाभकारी जड़ी बूटी है. 

करवा चौथ के दिन उपास करने वाली महिलाएं उपवास के एक दिन पहले ही मेहँदी लगा लेती है जिससे एक रात में उसका कलर और गहरा हो जाये. हमारे देश में ऐसी मान्यता है कि मेहँदी लगाने के बाद एक रात बाद अच्छी रचती है. इसलिए मेहँदी एक दिन पहले लगायी जाती है. पहले मेहँदी के डिज़ाइन नहीं होते थे. तो महिलाये सिर्फ उंगलियों में और हथेली में मेहँदी का चन्द्रमा बनती थी. लेकिन आज इतनी डिज़ाइन आ गयी है, के कोण सी मेहंदी के डिज़ाइन लगवाए ये तय करना मुश्किल हो जाता है. 

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