कर्म और भाग्य

एक निक्कमे आदमी की पत्नी ने उसे घर से निकलते हुए कहा आज कुछ न कुछ कमा कर ही लौटना नहीं तो घर में नहीं घुसने दूगीं।आदमी दिन भर इधर -उधर भटकता रहा, लेकिन उसे कुछ काम नहीं मिला।निराश मन से वह जा रहा थी कि उसकी नजर एक मरे हुए सांप पर पड़ी। उसने एक लाठी पर सांप को लटकाया और घर की और जाते हुए सोचने लगा ,इसे देखकर पत्नी डर जाएगी और आगे से काम पर जाने के लिए नहीं कहेगीं।

घर जाकर उसने सांप को पत्नी को दिखाते हुए कहा ,ये कमाकर लाया हूँ। पत्नी ने लाठी को पकड़ा और सांप को घर की छत पर फेंक दिया। वह सोचने लगी कि मेरे पति की पहली कमाई जो कि एक मरे हुए सांप के रूप में मिली ईश्वर जरुर इसका फल हमें देगें क्योकिं मैंने सुना हैं कि कर्म का महत्व होता हैं। वह कभी व्यर्थ नहीं जाता। तभी एक बाज उधर से उड़ते हुए निकला जिसने चोंच में एक कीमती हार दबा रखा था।

बाज की नजर छत पर पड़े हुए सांप पर पड़ी उसने हार को वहीं छोड़ा और सांप को लेकर उड़ गया। पत्नी ने हार को पति को दिखाते हुए सारी बात बताई।

पति अब कर्म के महत्व को समझ चुका था, उसने हार को बेचकर अपना व्यवसाय शुरू किया। कल का एक गरीब इन्सान आज का सफल व्यवसायी बनकर इज्जत की जिंदगी जी रहा हैं।

किसी ने ठीक ही कहा हैं कि ............ चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता हैं ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल रहता हैं।

पैर मिले हैं चलने को तो, पांव पसारे मत बैठो आगे-आगे चलना हैं तो, हिम्मत हारे मत बैठो।

जीवन में बिना कर्म के किये हमें कुछ नहीं मिल सकता।

इसलिए इसके महत्व को समझते हुए हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। हमारी ख़ुशी ,सफलता ,शांति ,सुकून सब कुछ अच्छे कर्म में ही निहित है। भागवत गीता में श्री कृष्ण ने कर्म को ही प्रधान बताया हे अतः हमें जीवन में भाग्य पर निर्भर नहीं होना हे हमे अपने कर्म करते जाना हे अगर अच्छा कर्म करेंगे तो सब अच्छा ही होगा । क्या आप सब भी इस बात से सहमत हे ? ?

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