क्यों है तेरी बेरुखी क्यों तुम बदल गये हो? बेवसी के कदमों से मुझको कुचल गये हो! सूरतें उम्मीदों की अब आती नहीं नज़र, मजबूरी के सांचे में क्यों तुम ढल गये हो?