आनंद की अनुभूति देते है कबीर के पद

महात्मा कबीर के पद भक्ति रस से न केवल सराबोर है तो वहीं इनका सुबह-सबेरे श्रवण करने से आनंद की भी अनुभूति होती है। कबीर के पद की सीडी आदि बाजारों में आसानी से उपलब्ध है, इन्हें सुबह सबेरे सुना जा सकता है। इन पदों की गूंज से घर का वातावरण भी सुखमय हो जाता है। यहां महात्मा कबीर के दो पदों का मूल दिया जा रहा है...

मन लागो मेरो यार फकीरी में॥

जो सुख पावो राम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में । भला बुरा सब को सुन लीजै, कर गुजरान गरीबी में ॥ मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥

प्रेम नगर में रहिनी हमारी, भलि बलि आई सबूरी में । हाथ में कूंडी, बगल में सोटा, चारो दिशा जगीरी में ॥ मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥

आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में । कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिलै सबूरी में ॥ मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥

ऐसा रे अवधू की वाणी, ऊपरि कूवटा तलि भरि पाँणीं॥टेक॥ जब लग गगन जोति नहीं पलटै, अबिनासा सुँ चित नहीं विहुटै। जब लग भँवर गुफा नहीं जानैं, तौ मेरा मन कैसै मानैं॥ जब लग त्रिकुटी संधि न जानैं, ससिहर कै घरि सूर न आनैं। जब लग नाभि कवल नहीं सोधै, तौ हीरै हीरा कैसै बेधैं॥ सोलह कला संपूरण छाजा, अनहद कै घरि बाजैं बाजा॥ सुषमन कै घरि भया अनंदा, उलटि कबल भेटे गोब्यंदा। मन पवन जब पर्‌या भया, क्यूँ नाले राँपी रस मइया। कहै कबीर घटि लेहु बिचारी, औघट घाट सींचि ले क्यारी॥

ज्योतिष शास्त्र और धातुओं का उपयोग

तो पूरा परिवार सुखमय

 

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