कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो

आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त, कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो।

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