कब का वजीर हो जाता

मेरे लहजे में "जी हुजूर" न था, इसके अलावा साहब मेरा कोई कसूर न था" "अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता, यकीन मानिए कब का वजीर हो जाता"

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