ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी

होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएँ हो गईं आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है ख़ुलती ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी झुकती आँखों ने बताया मयकशी क्या चीज़ है हम लबों से कह न पाये उन से हाल-ए-दिल कभी और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ हैं

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