जो मुझसे खुल नहीं पाते हैं

तड़प ये दिन रात की कसक ये बिन बात की भला ये रोग है केसा सजन अब तो बता दे बिन कारण उदासी क्यों अचानक घिर के आती है  क्यों थक जाता हूँ मुझको वदन क्यों तोड़ जाती है ये आखिर कौन सा बन्धन है जो मुझसे खुल नहीं पाते हैं  ये बादल बेबसी के क्यों बरस कर धूल नहीं जाते हैं

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