जिन्दगी मशहूर हो रही है !

दिन रात तेरी ही बात होती है

हर शाम को तेरी यादो से मुलाकात होती है

इस तरह उभरती है प्यास तेरी तमन्ना की,

महफ़िलो में जाम लिए अब मेरी रात होती है ,

तेरी मेरी गम-ए-जिन्दगी मशहूर हो रही है !

तेरी हर खुशी मुझसे दूर हो रही है !

ना है कोई मंजिल अपनी ना ही हमराह

साँस-ए-जिस्म भी जैसे कसूर हो रही है!

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