जी ले आज के दो चार पल

आओ जी ले आज के दो चार पल जिंदगी जाने कहाँ ले जाये कल ये फिजा रंगीन ये वादे बहार  दूर रहकर ही कहीं जाये ना ढल आपके आते ही जाने क्या हुआ खुद वा खुद खिलने लगे दिल के कमल रात वस कुछ देर की मेहमान है छाने को है चाँद पर रंगीन गजल आप आएंगे ये मुमकिन ही सही तब तलक हम सोच में जाएँ ना जल जिनको पाने को जहाँ ठुकरा दिया क्या पता था वो ही जायेंगे बदल देखते रहने दो मुजको इश्क का रंग डालो मत मेरी इवादत में खलल

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