झुलस कर जल न जाऊं

तेरे तेवर की गर्मी से, झुलस कर जल न जाऊं मैं जरा पलकें झुकाकर के सुहानी शाम होने दो । मुझे दिल में बसाते हो, मेहंदी में छुपाते हो यूं ही अपनी मोहब्बत का चर्चा आम होने दो ॥

चंद मिनटों में क्या मिलना, पल दो पल में हो क्या बातें जिक्र रूमानी बातों का आठों याम होने दो । मिलायी नजर से नजरें, दिलों से दिल मिलायें हैं देकर हाथ हाथों में रस्में तमाम होने दो ॥

रगों में खून बनकर के तुम्ही तो दौडते हो अब चलो इस दिल की धडकन को भी अपने नाम होने दो । सच्चा हो खरा हो या, भला हो या बुरा हो या मगर अपनी मोहब्बत का कोई अंजाम होने दो ॥

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