ज़हर खाए ज़माने गुज़र गए

ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गए आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुज़र गए ओ जाने वाले! आ कि तेरे इंतज़ार में रस्ते को घर बनाए ज़माने गुज़र गए ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए क्या लायक़-ए-सितम भी नहीं अब मैं दोस्तों पत्थर भी घर में आए ज़माने गुज़र गए जाने-बहार फूल नहीं आदमी हूँ मैं आ जा कि मुस्कुराए ज़माने गुज़र गए क्या-क्या तवक्कोअत थी आहों से ऐ 'ख़ुमार' यह तीर भी चलाए ज़माने गुज़र गए

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