शादी के बाद कौन सा हो सरनेम, पति का या पत्नी का?

टोक्यो : कोई तलाक औऱ उसके बाद एलोमनी के लिए लड़ रहा है। लेकिन जापान की महिलांए अपने नाम के लिए लड़ रही है। जापान की महिलांए चाहती है कि शादी के बाद उनका सरनेम बदलने के लिए बाध्य नही किया जाए। बात इतनी बढ़ गई कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। अब सरकार पर 1896 के कानून को बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस संबंध में 5 महिलाओं ने सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है और मुआवजे की मांग की है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 16 दिसंबर को फैसला सुनाएगी। महिलाओं को दो दो सरनेम से खासी परेशानी होती है। पेशेवर सेवाओं और कानूनी उपयोग के लिए बचपन से चला आ रहा सरनेम काम आता है, वहीं सरकारी दस्तावेजों में शादी के बाद वाला नाम काम प्रयोग किया जाता है। इसके पीछे महिलाओं का तर्क है कि यदि दो नामों के साथ जीना इतना आसान है तो शादी के बाद पुरूष अपना सरनेम क्यों नही बदलते। इस मामले में कारोई ओगुनी का कहना है कि यह नियम अलोकतांत्रिक है। इससे शादीशुदा जोड़े के अधिकारों का हनन होता है। ओगुनी का मानना है कि पति का सरनेम अपनाने से महिलाएं अपनी पहचान खो देती है।

इस मामले में शिंजो आबे की सरकार कानून में बदलाव का विरोध कर रही है। 1896 का कानून कहता है कि पति पत्नी का सरनेम समान होना चाहिए। मतलब ये सरनेम दोनो में से किसी का भी हो सकता है। कुछ जापानियों का मानना है कि वर्तमान व्यवस्था सही है। यदि इसमें छूट दी गई तो संबंधो में कड़वाहट आ सकती है। जापान में एक गणना में कहा गया है कि 52 प्रतिशत इसके पक्ष में है जब कि 34 प्रतिशत इस नियम के बदले जाने के खिलाफ है।

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