जानकी जयंती के दिन करें श्री सीता चालीसा का पाठ

हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘जानकी जयंती’ (Janki Jayanti) का पर्व मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस साल यह पावन जयंती 24 फरवरी, गुरुवार को यानी आज मनाई जा रही है। ऐसे में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही मिथिला नरेश राजा जनक (Raja Janak) की दुलारी सीता जी प्रकट हुई थीं। आज यानि ‘जानकी जयंती’ (Janki Jayanti) के दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। तो आज हम आपको बताते हैं श्री सीता चालीसा, जिसके पाठ से बड़े से बड़े दुःख और कष्ट खत्म हो जाते हैं। 

श्री सीता चालीसा- ।। दोहा।।

बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम।।

कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम।।

।। चौपाई।।

राम प्रिया रघुपति रघुराई, बैदेही की कीरत गाई।। चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई।। जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी।। दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता।।

सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति।। भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई।। भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा।। जनक निराश भए लखि कारन, जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन।।

यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए।। आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई।। जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा।। मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै।।

जय-जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी।। सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले।। मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा।। लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई।।

कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा, मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा।। कौशल्या सूत भेंट दियो सिय, हरख अपार हुए सीता हिय।। सब विधि बांटी बधाई, राजतिलक कई युक्ति सुनाई।। मंद मती मंथरा अडाइन, राम न भरत राजपद पाइन।।

कैकेई कोप भवन मा गइली, वचन पति सों अपनेई गहिली।। चौदह बरस कोप बनवासा, भरत राजपद देहि दिलासा।। आज्ञा मानि चले रघुराई, संग जानकी लक्षमन भाई।। सिय श्रीराम पथ पथ भटकैं, मृग मारीचि देखि मन अटकै।।

राम गए माया मृग मारन, रावण साधु बन्यो सिय कारन।। भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो, लंका जाई डरावन लाग्यो।। राम वियोग सों सिय अकुलानी, रावण सों कही कर्कश बानी।। हनुमान प्रभु लाए अंगूठी, सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी।।

अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा, महावीर सिय शीश नवावा।। सेतु बांधी प्रभु लंका जीती, भक्त विभीषण सों करि प्रीती।। चढ़ि विमान सिय रघुपति आए, भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए।। अवध नरेश पाई राघव से, सिय महारानी देखि हिय हुलसे।।

रजक बोल सुनी सिय बन भेजी, लखनलाल प्रभु बात सहेजी।। बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो, लवकुश जन्म वहां पै लीन्हो।। विविध भांती गुण शिक्षा दीन्हीं, दोनुह रामचरित रट लीन्ही।। लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी, रामसिया सुत दुई पहिचानी।।

भूलमानि सिय वापस लाए, राम जानकी सबहि सुहाए।। सती प्रमाणिकता केहि कारन, बसुंधरा सिय के हिय धारन।। अवनि सुता अवनी मां सोई, राम जानकी यही विधि खोई।। पतिव्रता मर्यादित माता, सीता सती नवावों माथा।।

।। दोहा।।

जनकसुता अवनिधिया राम प्रिया लवमात, चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात।।

जानकी जयंती पर जरूर करें श्री जानकी वन्दना और आरती

आखिर हनुमान जी ने ऐसा क्या सुनाया कि खत्म हो गए जानकी माँ के सभी दुःख?

आज है ‘जानकी जयंती, इस विधि से करें पूजन

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