कई तो मियां बावला और उपर से पी ली भंग

जम्मू कश्मीर भाजपा के लिये गले की हड्डी बन गई है.......! न उगलते बन रही है और न निगलते बन रही.......! लोकसभा, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में जीते....तो सत्ता के मद में आये.....सोचा क्यों न कश्मीर की सत्ता का भी स्वाद ले लिया जाये....वैसे भी बीजेपी के नेता अभी तक की जीत से बावले थे.....इसलिये दिल्ली की ’बदनसीबी’ को पचा गये, बावजूद इसके ’घाटी के फटे’ में अपनी ’टांग’ अड़ाने से चूके नहीं.....सरकाई ली खटिया....जाड़ा लगे.....पीडीपी भाजपा को प्यारी लागे......! 
 लो अब भुगतो...... ज्यादा ’प्यार’ का नतीजा.! बीजेपी के कांधों पर मुफ्ती ’बेताल’ की तरह चढे हुये है, फिंके न फिंकाये.....! वैसे जम्मू कश्मीर के मामले में भाजपा के लिये यह उक्ति चरितार्थ बैठती है कि कई तो मियां बावला....और उपर से पी ली भंग.....! बापड़े नरेन्द्र मोदी ने सोचा भी नहीं होगा कि मुफ्ती का ’प्रिय’ मसरत उनके लिये......! जवाब देते फिरो....विरोधियों के मुंह बंद करते फिरो....या फिर गठबंधन तोड़ने की धमकी दे दो.....लेकिन अब पछताये होत क्या....जब मुफ्ती चूग गया ’खेत’! अरे ! भाजपाईयों, राष्ट्रवाद की बातें करते हो, धारा 370 का विरोध करते हो, फिर ऐसी क्या अड़ गई थी कि दुश्मन नंबर एक को गले लगा लिया....! मालूम होगा कि ’कुत्ते की पूंछ’......तेड़ी की तेड़ी ही रहती है....बावजूद इसके......! 
राजनीति की चाशनी और आप  
आम आदमी पार्टी भी अब ’भारतीय राजनीति’ की चाशनी में पूरी तरह से डुबी नजर आ रही है। शुरूआती दौर से ही भारतीय राजनीति की तासीर रही है, एक दूसरे को निपटाओं, फूट डालो और राज करों, इसकी टांग खींचो, उसकी टांग खींचों और मजे करों.....! भाजपा और कांग्रेस की जिस परछाई से ’आप’ दूर रहने का ढिंढोरा पीटा करती थी, वहीं आप फिलहाल इन दोनों राजनीति की ’घाघ’ पार्टियों के रंग में रंग गई है। अर्थात योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण में कांग्रेस भाजपा की ’आत्मा’ ने प्रवेश कर लिया है.....! वैसे अरविंद केजरीवाल ने भी ’तांत्रिक’ का रूप बताते हुये इन्हें ’ठंडा’ किया है लेकिन ’बकरे की माॅं कब तक खेर’ मनायेगी, फलस्वरूप अब देखते है कि ’ये कटे कि वे हलाल’ हो.....! 
 ’मन’ लागो यार फकीरी में  
बेचारे मनमोहन सिंह का मन ’फकीरी’ में लग गया था.......मगर ’कोयले’ ने फिर उछालकर ’पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति’ ताजा करा दी है लोगों को.....! वैसे कांग्रेस के दी एंड के साथ ही ’मन’ लोगों के ’मन’ से ओझल हो गये थे, लेकिन कहते है न कि कोयले की दलाली में हाथ तो काले हो ही जाते है, इसलिये मनमोहन के भी हो गये.....करें कोई और भरे कोई....कांग्रेसी पाप का घड़ा मनमोहन के सिर फूटा या नहीं, यह तो हम नहीं कहते लेकिन मनमोहन का मन जरूर दुःखी होगा कि मरवा दिया....बुढ़ापे में....! 
 आ लौट के आ जा मेरे, तुझे कांग्रेसी बुलाते है 
राहुल जी आपका ’आत्मचिंतन’ पूरा हो गया हो तो, वापस लौट आओं....! आ लौट के आ जा मेरे राहुल, तुझे कांग्रेसी बुलाते है.....सूना पड़ा रे.....सदन.....तुझे तो भाजपा वाले भी याद करते है.....! ऐसे गये कि बस पूछो मत, आत्मचिंतन है, समय तो लगेगा ही, फिर कांग्रेसी बुलायें या फिर अम्मा रोज फोन करें कि बेटा पूरा हो गया हो तो चला आ, याद आ रही है.....! फुर्सत में है बहू ढूंढे, कम से कम मन तो लगा रहेगा घर में....! सदन भी ’खाने को दौड़ता है’ तेरे बगैर! घर आंगन सूना है, वो भी क्या दिन थे जब तेरी ’किलकारियां’ सदन में गूंजा करती थी, मोदी जी के कान भी तेरे कर्णप्रिय शब्दों के लिये तरस रहे है.....! खैर पप्पु मौज करों और थोड़े दिन, काहे टेंशन लेते हो....! जब आना हो आ जाना, ऐसा तो नहीं है कि तुम्हारे बगैर चले ही नहीं....! 
 और अंत में कांटा लगा....हाय लगा.... 
 अरविंद केजरीवाल.....कुत्ते मैं तेरा खून पी जाउंगा........! मोदी.......स्साले दिखा दी न औकात....मती मारी गई थी जो तेरे पास चले आया......हाय लगा कांटा लगा कि नहीं हाय लगा....!

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