जब दुपट्टा सरकता था

तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..! तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम "अपनी" नज़रे झुका लेते थे..!

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