जब गए वो किसी अजनबी के साथ

जब वो गए किसी अजनबी के साथ,

सौ जख्म दे गए जिन्दगी के साथ

बुलाउंगा कैसे यह एहसान आपका,

किस तरह खेला करते थे मेरी ज़िंदगी के साथ

भरे नहीं है जख्म अभी तक मेरे अभी

और दो जख्म मेरे दिल को

देखते हैं जो लोग बाहर से मुझे

समझेंगे वो किस तरह,

कितने ग़मों की भीड़ है इक आदमी के साथ।

Related News