जब चाहा बना लिया

प्यार कोई दीया नहीं, जब चाहा जला दिया बुझा दिया,  ये बालू का महल नहीं, जब चाहा बना लिया मिटा दिया,  ये एहसास है जो दिल की गहराइयों से निकलता है,  ये बच्चों का खेल नहीं, जिसे जब चाहा हरा दिया, जिता दिया

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