सिर्फ इतनी सी आरज़ू पूरी कर जाना। मोहब्बत भुला दी है तो नफरत भी भूल जाना। है जो भी नाराजगी मुझसे, सब भुला जाना। इस रिश्ते में बाकि ये अहसास, अब मिटा जाना।। न कोई घमंड, न कोई उम्मीद, न कोई ऐतबार, न कोई इन्तजार। सिर्फ इतनी सी है ख्वाहिश, की ख़त्म हो जाये ये दर्द का भी अहसास।। मिटा दे आज हर नफरत का, और यादों का हर अहसास, बन जा फिर एक अजनबी, और बना जा मुझे अजनबी इंसान।।