वास्तव में महान वही है जिसने .........

किसी समय की बात है की एक व्यक्ति अपने ही नगर में राजा के राज्य में बढ़ती बेईमानी को देख बहुत परेशान सा होने लगा इस बढ़ती हुई बेईमानी को राजा बिलकुल भी समझ न पाया की उसके दरवार के सैनिक क्या गलत कर रहे है .उस व्यक्ति ने इस बढ़ती हुई  बेईमानी ,छल-कपट और धोखेबाजी को ध्यान में रखते हुए राजा के दरवार में पहुंचा और कहने लगा कि क्या राज्य में ऐसा कोई आदमी होगा,जो सदाचारी और गुणों के देवता की कृपा रखता हो?

राजा समझ गया और उसने जबाव दिया, ऐसा व्यक्ति है.एक तो स्वयं आप क्योंकि सत्य को जानने की जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति को में महान मानता हूं.लेकिन राजा की बातों में न आते हुए सम्राट ने कहा कि मैं महान हो सकता हूं.लेकिन मैं एक अन्य व्यक्ति को देखना चाहूंगा.

राजा बोला,तब तो वह व्यक्ति मैं हूं. उस व्यक्ति  ने कहा, 'मैं आपसे भी महान आदमी को देखना चाहता हूं.कृप्या मुझे उसके पास ले चलिए.राजा ने एक क्षण के लिए उस व्यक्ति  की ओर देखकर कहा, हमें उठकर कहीं जाने की जरूरत नहीं. हमें अपने आसपास कई ऐसे व्यक्ति देखने को मिलेंगे. हमें केवल उनकी ओर उस दृष्टि से देखना होगा. 

अब राजा  ने सामने की ओर इशारा करते हुए कहा, 'तुम देखो  उस वृध्द महिला को जो कुदाल से कुंआ खोद रही है.' तब उस व्यक्ति ने का कहा कि इतनी वृद्ध  महिला अब जाने इसे इस उम्र में कुंए की क्या जरूरत आ गई .राजा  बोले, आपने ठीक कहा मगर जरूरत ही सब कुछ नहीं हुआ करती.जो दूसरों के लिए इस तरह निर्लिप्त होकर अपना जीवन बलिदान करते हैं, वही वास्तव में महान हैं. वह इस धरती पर ईश्वर हैं. जिस व्यक्ति ने निःस्वार्थ  भाव से किसी की मदद की वही महान है . संसार में आना- जाना तो जीव का लगा ही रहता है पर किसी के लिए कुछ अच्छा कर जाना ही तो जीव की महानता है .

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